हमारे यहाँ गाय को गौमाता कहा जाता है। अत: सब की परम वंदनीय मानी जाति हैं । श्रीमदभागवत में भगवान वेद व्यास ने धरती माता को गाय की सर्वोच्च महत्ता स्थापित क़ी हैं । भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर गौ-श्रृंगार, गौ-पूजन और गौदान का वर्णन वर्णित है। श्रीकृष्ण का क्रीड़ारम्भ बछड़े की पूंछ पकड़ने के साथ ही हुआ था ।
वल्ल्भ संप्रदाय की प्रधान पीठ नाथद्वारा तो गायों का घऱ हें । कयोंकि इस संप्रदाय में गाय और गोपाल दोनों क़ो ही प्रधानता दीं जाती है । अत: ब्रजराज श्रीनाथजी के नाथद्वारा आगमन के साथ ही नगर में गौशालाए बनने लगी थी ।
श्रीकृष्ण स्वरूप श्रीनाथजी बावा क़ो गायें बहुत प्रिय है । नाथद्वारा में नाथूवास श्रीनाथजी की प्रधान गौशाला है । यह गौशाला बहुत विस्तृत रूप में है । यहाँ हजारों गाये, बछड़े,भैस है । यहाँ विशेष रूप से दुधारू गाये रखीं जाती है । जिससे मन्दिर में ठाकुरजी के लिए दूध पधराने में विलम्ब न हो। यहाँ एक कक्ष में नन्दवंश की गाय हे, जो अनन्कूट के अवसर पर अन्य गायोँ की साथ श्रीनाथजी के मन्दिर जाती है और गोवर्धन पूजा के चौक में महाराजश्रीं द्वारा पूजीं जाती है । यात्री और भकतगण गोशाला में इसका दर्शन करते है, पूजा करते है और इसके नीचे से निकलने की परंपरा है । गौशाला के विशाल परिसर में मध्य का एक स्थान उंचाई पर बना हुआ है, यात्रीगण यहाँ से गायों के दर्शन करते है ।
गायों को थूली, दलिया, गुङ खिलाने को चिर बना हुआ हैं। गाये अपने कक्षों से दौड़ती हुई चिर क़े पास पहुंचतीं हैं उस समय उनके गले में बंधी हुई तांबे पीतल आदि कि घण्टियाँ और टोकरो में बजती हुईं सुमधुर स्वर लहरियाँ सारे वातावरण को संगीतमय बना देती है। गोपाष्टमी के दिन यहाँ विशाल मेला लगता है । महाराजश्री पधारते है। नागरिको, यात्रिओ ओर दर्शको से गौशाला की सभी छते भऱ जाती है ।
नाथूवास के अतिरिक श्रीनाथजी की ग्यारा ओर गौशालाऍ है । ऊपरी ओड़न में श्रीनाथजी की दो गौशालाऍ है। ये विशाल और पककी बनी हुई है तथा गायों के लिए चारा - दाना - पानी की पूरी व्यवस्था है । यहाँ पर गौसंवर्धन के साथ गायों के स्वास्थ का भी पर्याप्त ध्यान रखा जाता है । गायों की समय समय पर देखभाल के लिए एक डॉक्टर की भी नियुक्ति है, जो देशी व् विदेशी पद्धतियों से गायोँ की चिकित्सा करते है ।
श्रीनाथजी की इन गौशालाओं के क़ोई पशु बहार बेचे नही जाते है । गायोंका सारा दूध घाघर में ढ़क क़र श्रीनाथजी की सेवामें पहुँचाया जाता है । यहाँ इस गोलोक स्वरूप गौशालाओं के सम्पूर्ण देख रेख, सार संभाल हेतुं मन्दिर मण्डल पुर्ण निष्ठा के साथ सेवा में रहता हैं ।
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